अहमदाबाद न्यूज डेस्क: अहमदाबाद में 12 जून को हुए एयर इंडिया विमान हादसे में 242 यात्रियों में से सिर्फ एक शख्स जिंदा बचा — विश्वासकुमार रमेश। चार महीने बाद अब उन्होंने उस भयावह दिन और उसके बाद की जिंदगी के बारे में बताया। हादसे में शारीरिक चोटों के साथ-साथ उन्हें गहरा मानसिक आघात भी पहुंचा। विश्वासकुमार कहते हैं, “मैं भले ही जिंदा हूं, लेकिन यह किसी वरदान से कम नहीं, फिर भी इस हादसे ने मेरी पूरी ज़िंदगी बदल दी है।”
वो बताते हैं कि जिस फ्लाइट में वे सवार थे, वह अहमदाबाद के मेडिकल हॉस्टल पर गिर गई थी। मलबे से उन्हें बाहर निकाला गया, लेकिन उनका छोटा भाई अजय नहीं बच पाया। विश्वासकुमार कहते हैं, “वो आगे की सीट पर बैठा था, और अब मैं अकेला रह गया हूं। न पत्नी से बात करता हूं, न बेटे से। बस कमरे में बंद रहता हूं, किसी से बात करने का मन नहीं करता।” भाई को खोने का दर्द उन्हें अंदर तक तोड़ चुका है।
डॉक्टरों ने उन्हें पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर यानी PTSD से पीड़ित बताया है, लेकिन ब्रिटेन लौटने के बाद उन्हें कोई मानसिक उपचार नहीं मिला। वे बताते हैं कि उनका पूरा परिवार आज भी उस सदमे से बाहर नहीं आया है। “मेरी मां हर दिन दरवाजे पर बैठी रहती हैं, किसी से बात नहीं करतीं। हमारे लिए हर दिन दर्द से भरा होता है,” उन्होंने कहा।
विश्वासकुमार के शरीर पर अब भी हादसे के निशान हैं — उनके पैर, कंधे और पीठ में दर्द रहता है, जिससे वे ठीक से चल नहीं पाते। वहीं, एयर इंडिया ने बताया कि कंपनी के अधिकारी पीड़ित परिवारों से लगातार संपर्क में हैं और रमेश को £21,500 (करीब ₹25 लाख) की अंतरिम राहत राशि दी गई है। हालांकि, उनके सलाहकारों के मुताबिक यह रकम उनकी ज़रूरतों के लिए बेहद कम है।